झाड़फूंक सही या फिर डाक्टरी इलाज

शिमला। पीलिया के अधिकांश मरीज अस्पतालों के बजाय झाड़फूंक करने वालों के पास दस्तक दे रहे हैं। मरीजों का मानना है कि अस्पतालों के चक्कर काटने के बजाय झाड़फूंक वालों के पास वैदिक विधि से पीलिया जल्द दूर होता है। इस पर आईजीएमसी के मेडिसन विशेषज्ञ डा. डीआर शर्मा कहते हैं कि पीलिया आराम करने और परहेज करने से दूर होता है। झाड़फूंक वाले मरीजों को भ्रमित कर रहे हैं। मरीज अगर अस्पताल में आकर डाक्टरों की सलाह मानें और आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन करें तो ठीक होने की गारंटी हम देते हैं। डा. शर्मा ने दावा किया कि सलाह मानने के बाद भी मरीज ठीक नहीं होता तो वे अस्पताल में आकर डाक्टर से पूछ सकते हैं कि मैं ठीक क्यों नहीं हुआ? डा. डीआर शर्मा ने शहर के लोगों से जागरूक होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पानी उबालकर पीएं और ताजा भोजन करें। पीलिया ठीक होने में कुछ समय लगता है।
उधर, पीलिया झाड़ने वालों का कहना है कि मंत्रोच्चारण और दूभ की ताकत से पीलिया को झाड़ा जाता है। कांसे की थाली में सरसों का तेल डालकर उसे दूभ से घूमाया जाता है। दूभ प्राकृतिक है। यह शरीर में उत्पन्न हुई गर्मी को खिंचने का काम करती है। बैम्लोई में पीलिया झाड़ने वाले बुजुर्ग जगतराम का कहना है कि तेल का रंग जब अधिक गहरा हो तो पीलिया शरीर में अधिक होता है। तीन से सात दिन तक नियमित तौर पर पीलिया झाड़ा जाता है। न्यू शिमला के मदन ठाकुर का कहना है कि पीलिया झाड़ने के अलावा वे जड़ी बूटियों से बनी दवा भी मरीजों को देते हैं और परहेज की सलाह देते हैं। मंत्रोच्चारण में बड़ी ताकत होती है।
कानून के विशेषज्ञ अधिवक्ता संजीव भूषण का कहना है पीलिया झड़वाने का मामला आस्था से जुड़ा और व्यक्ति विशेष की पसंद-नापसंद का है। जब तक इस पद्धति से उपचार करवाने वाला व्यक्ति धोखाधड़ी किए जाने या किसी भी भी तरह की शिकायत नहीं करता है। तब तक इस पर कोई कानून लागू नहीं होता है।

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